June 21, 2025

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योग: मानवता का साझा मार्ग !

 

योग: मानवता का साझा मार्ग !

मेरा नाम शीराज़ क़ुरैशी है, और एक अधिवक्ता के रूप में मैं भारत में सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हूँ। वर्तमान में, मैं भारत फर्स्ट संगठन के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में कार्यरत हूँ, जो भारत की एकता, अखंडता और समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही, मैं संघ के विचारों को आत्मसात् करके, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के साथ लंबे समय तक सक्रिय रूप से जुड़ा रहा हूँ, जो हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सभी समुदायों तक पहुँचाने का कार्य करता है। योग, जो भारत की प्राचीन धरोहर का हिस्सा है, मेरे लिए न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का साधन है, बल्कि सभी धर्मों और समुदायों को एक मंच पर लाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। इस लेख में, मैं योग की सर्वधर्म समभाव की प्रकृति को अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत करूँगा, जिसमें संस्कृत श्लोक, कुरान शरीफ की आयतें (अरबी और हिंदी में), भगवद्गीता के उदाहरण, विश्व के उदाहरण, और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के योग से जुड़ाव को शामिल किया जाएगा।

संस्कृत श्लोक: योग का सार्वभौमिक संदेश
योग का आधार पतंजलि के योगसूत्रों में निहित है, जो किसी धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं है। पतंजलि कहते हैं:
“योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः”

(योगसूत्र 1.2)
अर्थ: योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है।
यह श्लोक योग को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करता है जो मन को शांत करता है और आत्मा को उच्च चेतना से जोड़ता है। यह संदेश सभी मानवों के लिए है, चाहे वे किसी भी धर्म को मानते हों।

भगवद्गीता में एक और श्लोक है:
“समत्वं योग उच्यते”

(गीता 2.48)
अर्थ: समता ही योग है।

यह श्लोक योग को जीवन में संतुलन और समानता के रूप में प्रस्तुत करता है। मेरे लिए, यह भारत की विविधता में एकता के सिद्धांत को दर्शाता है, जो भारत फर्स्ट और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की विचारधारा से मेल खाता है।

कुरान शरीफ: स्वास्थ्य और आत्म-नियंत्रण का महत्व
कुरान शरीफ में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने पर बल दिया गया है, जो योग के सिद्धांतों से मेल खाता है। मैं यहाँ दो आयतें प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिनका उपयोग मैंने अपने समुदाय में योग को प्रचारित करने के लिए किया है। ये आयतें अरबी में मूल रूप और हिंदी अनुवाद के साथ हैं:

1.  सूरह अल-बकरा, आयत 195 अरबी: وَأَنفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلَا تُلْقُوا بِأَيْدِيكُمْ إِلَى التَّهْلُكَةِ ۛ وَأَحْسِنُوا ۛ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ हिंदी अनुवाद: और अल्लाह के मार्ग में खर्च करो और अपने आप को अपने हाथों से विनाश की ओर न धकेलो, और भलाई करो, निश्चय ही अल्लाह भलाई करने वालों को पसंद करता है। व्याख्या: यह आयत हमें अपने शरीर और मन की देखभाल करने की प्रेरणा देती है। योग, जो तनाव कम करता है और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है, इस शिक्षण के साथ पूर्णतः संनादति है। मैंने अपने भाषणों में इस आयत का उल्लेख कर यह बताया कि योग हमें विनाश से बचाता है और भलाई का मार्ग दिखाता है।

2.  सूरह अल-बकरा, आयत 153 अरबी: يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اسْتَعِينُوا بِالصَّبْرِ وَالصَّلَاةِ ۚ إِنَّ اللَّهَ مَعَ الصَّابِرِينَ हिंदी अनुवाद: ऐ ईमान वालो! धैर्य और नमाज़ के द्वारा (अल्लाह से) सहायता माँगो। निश्चय ही अल्लाह धैर्य रखने वालों के साथ है। व्याख्या: यह आयत धैर्य और प्रार्थना पर बल देती है। योग में ध्यान और आत्म-नियंत्रण इस्लाम के संयम के सिद्धांत से मेल खाते हैं। मैंने अपने समुदाय को बताया कि योग का ध्यान नमाज़ के तफक्कुर (चिंतन) और तजक्कुर (स्मरण) के समान है।

3.  सूरह अर-रहमान, आयत 60 अरबी: هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ हिंदी अनुवाद: भलाई का बदला भलाई के सिवा और क्या हो सकता है? व्याख्या: यह आयत भलाई के महत्व को रेखांकित करती है। योग, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाकर समाज में सकारात्मकता लाता है, इस आयत के संदेश को मजबूत करता है। मैंने इस आयत का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि योग समाज में भलाई और एकता को बढ़ावा देता है।

4.  सूरह अल-माइदा, आयत 87 अरबी: يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تُحَرِّمُوا طَيِّبَاتِ مَا أَحَلَّ اللَّهُ لَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوا ۚ إِنَّ اللَّهَ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِينَ हिंदी अनुवाद: ऐ ईमान वालो! उन पाक चीज़ों को हराम न करो जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए हलाल की हैं, और हद से न बढ़ो। निश्चय ही अल्लाह हद से बढ़ने वालों को पसंद नहीं करता। व्याख्या: यह आयत संतुलन और संयम का संदेश देती है। योग, जो जीवन में संतुलन लाता है, इस आयत के सिद्धांत के अनुरूप है। मैंने इस आयत के आधार पर योग को एक ऐसी प्रथा के रूप में प्रस्तुत किया जो हलाल और लाभकारी है।

भगवद्गीता: योग का आध्यात्मिक आयाम
भगवद्गीता में योग को कर्म, भक्ति, ज्ञान और ध्यान के रूप में वर्णित किया गया है। एक श्लोक जो मुझे गहराई से प्रेरित करता है:

“बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।”

(गीता 2.50)
अर्थ: बुद्धि से युक्त व्यक्ति पुण्य और पाप दोनों को त्याग देता है। इसलिए योग के लिए प्रयास करो, योग कर्मों में कुशलता है।
यह श्लोक मुझे प्रेरित करता है कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में कुशलता और संतुलन लाने का मार्ग है। भारत फर्स्ट के माध्यम से, मैं योग को इस दृष्टिकोण से प्रचारित करता हूँ, ताकि यह सभी समुदायों के लिए प्रासंगिक हो।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और योग का जुड़ाव
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM), जो 2002 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तत्कालीन प्रमुख श्री के.एस. सुदर्शन जी और श्री इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में स्थापित हुआ, भारत की सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। योग हमारी एकता को मजबूत करने का एक प्रमुख साधन रहा है। मैंने MRM के साथ मिलकर निम्नलिखित पहलें की हैं:

•  योग शिविरों का आयोजन: MRM ने उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में योग शिविर आयोजित किए हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय उत्साहपूर्वक भाग लेता है। मैंने स्वयं ऐसे सत्रों का नेतृत्व किया है, जहाँ नमाज़ की मुद्राएँ जैसे सजदा को शीर्षासन और कयाम को वज्रासन से जोड़ा गया।

•  2015 में पुस्तक प्रकाशन: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 के अवसर पर, MRM ने एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें योग के बारे में गलतफहमियों को दूर किया गया। मैंने इस पहल में योग को स्वास्थ्य और आत्म-नियंत्रण के साधन के रूप में प्रस्तुत करने में योगदान दिया।

•  कश्मीर में योग: 2019 में, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, MRM ने कश्मीर में योग शिविर आयोजित किए, जिनमें मैंने भाग लिया। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने योग को शांति और एकता के प्रतीक के रूप में अपनाया, जो भारत फर्स्ट की राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को दर्शाता है।

•  अमरनाथ यात्रा समर्थन: 2008 में, MRM ने अमरनाथ यात्रा के लिए भूमि आवंटन का समर्थन किया और शांति मार्च के साथ योग सत्र आयोजित किए। इन आयोजनों में हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने एक साथ भाग लिया, जो योग की एकता की शक्ति को दर्शाता है।

विश्व के उदाहरण: योग की वैश्विक स्वीकार्यता
योग की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) है, जिसे 2014 में संयुक्त राष्ट्र ने 177 देशों के समर्थन से घोषित किया, जिसमें सऊदी अरब, UAE और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम-बहुल देश शामिल थे।

•  सऊदी अरब: 2018 में, सऊदी अरब ने योग को खेल के रूप में मान्यता दी। योग प्रशिक्षक नौफ मारवाई ने इसे इस्लामी सिद्धांतों के साथ जोड़ा, जो मेरे प्रयासों को प्रेरित करता है।

•  इंडोनेशिया: विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम-बहुल देश इंडोनेशिया में, बाली जैसे क्षेत्रों में योग केंद्रों की संख्या बढ़ रही है, जहाँ मुस्लिम और गैर-मुस्लिम एक साथ योग करते हैं।

•  फरीदा हमजा: अमेरिका की मुस्लिम योग प्रशिक्षक फरीदा हमजा योग को अपनी जीवनचर्या का हिस्सा मानती हैं। वे नमाज़ की मुद्राओं को योग आसनों से जोड़ती हैं, जो मेरे दृष्टिकोण से मेल खाता है।

मेरी व्यक्तिगत यात्रा: योग और इस्लाम का सामंजस्य
भारत फर्स्ट , मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता और एक अधिवक्ता के रूप में, मैंने योग की इस्लाम के साथ संगतता पर सवालों का सामना किया है। मेरा जवाब स्पष्ट है: योग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, न कि धार्मिक अनुष्ठान। उदाहरण के लिए, मैं सूर्य नमस्कार को बिना धार्मिक मंत्रों के शारीरिक व्यायाम के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। नमाज़ की मुद्राएँ, जैसे सजदा और शीर्षासन, कयाम और वज्रासन, में समानता मेरे विश्वास को मजबूत करती है कि योग और इस्लाम एक-दूसरे के पूरक हैं। दारूल उलूम देवबंद जैसे संस्थानों ने भी योग को स्वास्थ्य के लिए हलाल माना है, बशर्ते इसमें धार्मिक मंत्र न हों! 

योग एक ऐसी प्रथा है जो मानवता को एकजुट करती है। भारत फर्स्ट और मेरे MRM के साथ पिछले कार्यों के माध्यम से, मैंने योग को हिंदू-मुस्लिम एकता और राष्ट्रीय एकीकरण का प्रतीक बनाया है। संस्कृत श्लोक, कुरान की आयतें, गीता के उपदेश, और विश्व के उदाहरण योग की सर्वव्यापी प्रकृति को सिद्ध करते हैं। वसुधैव कुटुंबकम् (विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत को अपनाते हुए, मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि योग को अपने जीवन में शामिल करें और एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण और एकजुट भारत का निर्माण करें।

शीराज़ क़ुरैशी, अधिवक्ता
राष्ट्रीय संयोजक, भारत फर्स्ट

लेखक: अधिवक्ता शीराज़ क़ुरैशी, राष्ट्रीय संयोजक, भारत फर्स्ट