
राजगढ़
सीएम मोहन यादव ने आज राजगढ़ में घोषणा की है कि भाईदूज से लाड़ली बहनों को 1500 रुपए दिये जाएंगे। 2026 और 27 में भी राशि बढ़ाएंगे और 2028 तक 3 हजार प्रतिमाह की जाएगी। मोहन यादव यहां नरसिंहगढ़, जिला राजगढ़ में आयोजित बहनों के साथ 'रक्षाबंधन उत्सव' एवं 1.26 करोड़ से अधिक लाड़ली बहनों को रक्षाबंधन का उपहार अंतरण में बोल रहे थे।
इससे पहले एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था कि, भाई- बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व की सभी प्रदेशवासियों को अग्रिम शुभकामनाएं। रक्षाबंधन से 2 दिन पूर्व, आज लाड़ली बहनों के खातों में 1500 रुपए आएंगे, जिसमें रक्षाबंधन की भेंट स्वरूप 250 रुपए सम्मिलित हैं। हमारी सरकार निरन्तर महिला सशक्तिकरण के लिए संकल्पित है।
1250 माह की राशि, 250 रक्षाबंधन का उपहार
लाड़ली बहना योजना के तहत सीएम ने आज नरसिंहगढ़ से 1250 रुपये तो बहनों को हर माह मिलने वाली राशि ट्रांसफर की। जबकि 250 रुपये प्रति बहना को रक्षाबंधन के उपहार के रूप में ट्रांसफर किए जाएंगे। इस योजना से मप्र की करीब 1 करोड़ 26 लाख बहनों को लाभ मिलेगा, जबकि राजगढ जिले की 2 लाख 95 हजार महिलाएं लाभांवित होंगे, जिनके खातों में करीब 42 करोड रुपये ट्रांंसफर किए गए।
दो साल में 12 हजार कम हो गई लाड़ली बहनें
मप्र में लाड़ली बहना योजना के शुरू होने से लेकर अब तक राजगढ़ जिले में करीब 12 हजार लाड़ली बहनें कम हो गई है। दो साल के भीतर 12 हजार लाड़ली बहनों की संख्या घट गई, जबकि नए आवेदन को कोई प्राविधान नहीं है। इसी के बीच आज मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नरसिंहगढ़ से लाड़ली बहनाें के खातों में राशि डाली। इसमें राजगढ़ जिले की 2.95 लाख महिलाओं के खातों में भी 44 करोड़ राशि सिंगल क्लिक से ट्रांसफर की।
लाड़ली बहना योजना अभी तक
मप्र विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा सरकार द्वारा जनवरी 2023 में लाड़ली बहना योजना का एलान किया था।इसके बाद 10 जून 2023 को पहली किश्त के रूप में राशि ट्रांसफर की थी।
जब योजना शुरू हुई थी उस समय राजगढ़ जिले में लाडली बहनों की संख्या करीब 3 लाख 8 हजार थी, जबकि वर्तमान में यह संख्या घटकर 2 लाख 95 हजार पर आ गई है।
दो साल के भीतर करीब 8 से 12 हजार लाड़लियां जिले में कम हुई है। आज गुरुवार को मुख्यमंत्री ने सिंगल क्लिक के माध्यम से मप्र की लाडली बहनों के खातों में 27 वीं किश्त के रूप में राशि ट्रांसफर की।
हालांकि इस सबके बीच अधिकारियों का कहना है कि कुछ महिलाओं की आयु 60 वर्ष हो गई, जबकि कुछ ने योजना का लाभ लेने से मना कर दिया, इसलिए संख्या घट गई।
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