
भोपाल
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की गई दिल की सर्जरी से 7 लोगों की मौत के बाद यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर रूप से लिया गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने पूरे देश की कैथ लैब्स में कार्यरत डॉक्टरों की योग्यता की जांच के निर्देश दिए हैं।
परिजनों को 10-10 लाख रुपए दे MP सरकार : NHRC
फर्जी डॉक्टर के इलाज से मारे गए लोगों के मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राज्य सरकार से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने को कहा है। आयोग ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार तथा केंद्र के लिए कई सिफारिशें की हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति ने मध्य प्रदेश के दमोह में मिशन अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में काम करने वाले एक फर्जी डॉक्टर द्वारा किए गए इलाज से लोगों की मौत के मामले की जांच की। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद आयोग ने राज्य सरकार को प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख रुपए की अनुग्रह राशि का भुगतान करने को कहा है।
आयोग ने सोमवार को यहां बताया कि उसकी जांच समिति ने मामले की जांच के बाद मध्य प्रदेश सरकार तथा केंद्र के लिए कई सिफारिशें की हैं। दोनों से चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है।
आयोग ने गत 28 मार्च को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। संबंधित राज्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के अलावा अपनी ओर से भी जांच की थी। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार को सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि वह इस अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा इलाज के बाद मरने वाले सभी सात मरीजों के परिजनों को राहत के रूप में दस-दस लाख रुपए का भुगतान करे।
मानवाधिकार आयोग ने मामले के निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की भी सिफारिश की है। साथ ही अधिकारियों को मध्य प्रदेश में कार्यरत सभी कैथ लैब का निरीक्षण करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा राज्य सरकार यह सत्यापित करने के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी करेगी कि सभी डॉक्टर कैथ लैब में काम करने के लिए योग्य हैं या नहीं।
जांच समिति ने कुछ अन्य सिफारिशें भी की हैं जिनमें बीमा राशि, सर्जरी से संबंधित जानकारी, भूखंड पर अनधिकृत निर्माण और जांच से जुड़े लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि इस अस्पताल में उपचार के बाद कई मरीजों की मौत हो गई थी।
क्या है मामला?
इसी वर्ष मार्च में यह मामला सामने आया था। आयोग ने 28 मार्च, 2025 को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। इसमें संबंधित राज्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के अलावा अपनी जांच भी की थी।
आयोग को अपनी जांच में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई में कई अनियमितताएं मिली थीं। इसी के आधार पर कई अनुशंसाएं की हैं। आयोग ने अपनी अनुशंसाओं पर चार सप्ताह में कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
जांच में लापरवाही करने वाले पुलिसकर्मियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), दमोह के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। इसमें मामले के अंतिम निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद करना भी सम्मिलित है।
दमोह के मिशन अस्पताल में डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ एन. जान कैम ने लंदन का कार्डियोलॉजिस्ट बताकर कई मरीजों की हार्ट सर्जरी की। मार्च 2025 में हुए इस खुलासे में सात मरीजों की मौत हुई। मामला सामने आने के बाद NHRC ने संज्ञान लिया और राज्य से रिपोर्ट तलब की। जांच में अनियमितताएं, लापरवाही और प्रशासनिक चूक सामने आई।
NHRC ने दिए ये निर्देश
देशभर में सभी कैथ लैब्स के डॉक्टरों की योग्यता की जांच
सभी राज्य सरकारों को आयुष्मान भारत योजना के दुरुपयोग की जांच करने को कहा
सात मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की अनुशंसा
डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर अलग-अलग FIR दर्ज करने का निर्देश
गैर इरादतन हत्या, ठगी, जालसाजी, चिकित्सकीय लापरवाही जैसे मामलों में कानूनी कार्रवाई
पुलिस और CMHO द्वारा की गई लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई
मिशन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने और संपत्ति की जांच के निर्देश
गंभीर सवाल जिनकी होगी जांच
क्या मरीजों को सर्जरी से पहले खतरे और विकल्पों की जानकारी दी गई थी?
क्या अस्पताल ने बीमा कराया था, और क्या परिजनों को उसका लाभ मिला?
भूमि, भवन निर्माण, और अस्पताल संचालन में नियमों का उल्लंघन हुआ या नहीं?
व्हिसल ब्लोअर्स की सुरक्षा
जो लोग इस आपराधिक कृत्य को सामने लाने में मददगार रहे, उन्हें व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा कानून 2014 के तहत संरक्षण देने की भी सिफारिश की गई है।
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