
जबलपुर
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान पश्चिम मध्य रेलवे (पमरे) ने भारी यात्री दबाव के मध्य ट्रेनों को निर्धारित समय पर संचालित करने जोर दिया। इस समयबद्धता से रेलपथ पर अतिरिक्त ट्रेनों के लिए जगह बनी।
दोगुनी संख्या में यात्री ट्रेनों के संचालन की सफलता प्राप्त की, जिससे श्रद्धालुओं को प्रयागराज तक पहुंचाने में सहायता मिली। पमरे का यह प्रयास अब दूसरे रेल जाने के लिए भी मॉडल बन गया है। अब प्रत्येक पर्व एवं मेला के दौरान यात्रियों की भीड़ बढ़ने पर पमरे की नीति पर समस्त रेल जोन में ट्रेन संचालन की तैयारी है।
इसके लिए रेलवे की ओर से तैयारी की जा रही है। वहीं, पमरे के प्रमुख स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था भी कारगर रही है, जिसके कारण कहीं पर भी कोई अराजकता की स्थिति निर्मित नहीं हुई।
सौ की जगह दो सौ से ज्यादा ट्रेनें चलाई
पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर और भोपाल रेल मंडल होकर रेलपथ महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात सहित दक्षिण भारत के राज्यों को प्रयागराज से जोड़ता है। इन राज्यों से आने वाली ट्रेनें कटनी-मानिकपुर के रास्ते प्रयागराज पहुंचती हैं।
कटनी-मानिकपुर के मध्य सामान्य दिनों में 100-125 यात्री ट्रेनें संचालित होती हैं, जहां पर महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन दो सौ से ढाई सौ ट्रेनें संचालित हुईं। नियमित ट्रेनों के साथ ही स्पेशल ट्रेनों को निर्धारित समय पर संचालित करके पमरे ने अतिरिक्त ट्रेनों के लिए रेलपथ में गुंजाइश बनाया। महाकुंभ में रेल जोन में सबसे अधिक ट्रेनों को चलाया जा सका।
पहले से की तैयारी, सामंजस्य बैठाया
महाकुंभ के दौरान भीड़ बढ़ने और प्रयागराज से नजदीकी को ध्यान में रखकर पमरे ने अतिरिक्त ट्रेन के रैक तैयार किए। आवश्यकता होने पर कम यात्री संख्या वाली ट्रेनों को चिह्नित करके रखा। इसके कारण प्रयागराज में जब भी भीड़ बढ़ी और आवश्यकता होने पर तुरंत ट्रेन के अतिरिक्त रैक उपलब्ध कराने में सफल रहा।
इससे यात्री परिवहन की निरंतरता बनाई रखी जा सकीं। भीड़ का आंकलन करके सतना, मैहर, कटनी रेलवे स्टेशन पर स्टेशन के बाहर तीन से चार हजार वर्गफीट के अस्थाई यात्री विश्राम स्थल विकसित किए।
वहां पेयजल, शौचालय से लेकर चिकित्सा एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराया। बेहतर सुविधा मिलने से यात्री स्टेशन के बाहर ही रुके। ट्रेन आने पर प्लेटफार्म में प्रवेश दिए जाने से कहीं पर भी भीड़ अनियंत्रित नहीं हुई।
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