भोपाल
गणेश उत्सव शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशियों का शुभ-लाभ लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां निजी स्कूलों को भी शिक्षकों को ग्र्रेज्युटी देने का बड़ा आदेश दिया है। वहीं मप्र सरकार ने भी प्रदेश के सरकारी शिक्षकों को अपना घर बनाने के लिए अंशादान देने का फैसला किया है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4 सितंबर को 18 हजार चयनित शिक्षकों को नियुक्त पत्र देंगे।
प्रदेश में शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को शासकीय अंशदान से स्वयं का घर बनाने हायर परचेस मॉडल, एन्युइटी मॉडल के साथ निजी आवासीय कांपलेक्स किराए पर लेकर प्रदेश में आवासगृहों की बढ़ती मांग और कमी को देखते हुए इनकी उपलब्धता बढ़ाने सरकार नई नीति बना रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी।
समिति में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य सचिव होंगे जबकि वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज गोविल, नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव और भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया सदस्य होंगे। यह समिति भोपाल सहित अन्य स्थानों पर शासकीय आवासगृहों की कमी को दूर करने नए और अभिनव मॉडल पर परियोजना तैयार करेगी।
यह समिति प्रदेश में शासकीय आवास गृहों के निर्माण हेतु वैकल्पिक वित्तीय तथा क्रियान्वयन प्रक्रिया के प्रस्ताव तैयार कराएगी। इसके अलावा पात्र शासकीय सेवकों को लंबी अवधि तक शासकीय अंशदान से स्वयं के आवासगृह उपलब्ध कराने के वैकल्पिक वित्तीय तथा क्रियान्वयन प्रस्ताव भी तय किए जाएंगे। इसके अलावा निजी आवासीय भवनों, अपार्टमेंट को लंबी अवधि तक लीज, किराए पर लेकर गृह भाड़ा भत्ता के विरुद्ध आवंटियों को किराया आवंटित व्यवस्था की जाएगी।
4 सितंबर को शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने के लिए भोपाल में बड़े आयोजन की तैयारी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4 सितंबर को 18 हजार चयनित शिक्षकों को नियुक्त पत्र देंगे। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से जंबूरी मैदान में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसकी जानकारी पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर दी थी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सांकेतिक रूप से शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देंगे। कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
अधिनियम 1972 वैध, कर्मचारी के दायरे में आते हैं निजी स्कूलों के शिक्षक
प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के लिए अच्छी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्मचारी के दायरे में शिक्षकों सहित ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 में संसद के संशोधन की वैधता को सही ठहराया और निजी स्कूलों के लिए पात्र लोगों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया है। कोर्ट ने इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन आॅफ इंडिया की याचिका पर यह आदेश दिया है। निजी स्कूलों और उनसे जुड़ी संस्थाओं से संशोधन की चुनौती को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी के लिए ग्रेच्युटी उसके द्वारा दी जा रही सेवाओं की न्यूनतम शर्तों में से एक है। इससे पहले कुछ निजी स्कूलों का दावा था कि पीएजी अधिनियम की धारा 2 (ई) में के तहत शैक्षणिक संस्थानों या स्कूलों में जो शिक्षक कार्य कर रहे हैं वो कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हैं। अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
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