Badanpur : जानिए हनुमानजी के प्राचीन मंदिर की महिमा
विदिशा/बदनपुर। अरुण विश्वकर्मा
मंगल को जन्मे मंगल ही करते हैं मंगलमय हनुमान। हम बात कर रहे हैं पवन पुत्र हनुमान जी के एक ऐसे प्राचीन मंदिर की जहां हर किसी की मुराद पूरी होती है। श्री हनुमान उन देवों में शामिल हैं, जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं।
भगवान श्री राम के कार्य सिद्ध करने वाले हनुमान जी साक्षात रुद्रावतार और संकट मोचक हैं। केसरी नंदन अतुलित बल के प्रतीक हैं। उनका बल दूसरों के कार्यों को सिद्ध करने और दुखों को दूर करने में खर्च होता है। यदि सच्चे मन से महाबली की आराधना की जाए तो वह अपने भक्त का हर मनोरथ पूर्ण कर देते हैं। हनुमान जी सेवक होने के साथ-साथ प्रभु श्रीराम व माता जानकी के सुत भी कहलाएं। हनुमान जी का चरित्र एक जीवन दर्शन है जिसका चिंतन, मनन, श्रवण करने से लोक-परलोक सुधर जाता है। रामदूत हनुमान जी को शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार माना गया है और उनकी उपासना जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कुंजी है।
आईए जानते हैं विदिशा क्षेत्र में हनुमान जी के प्राचीन मंदिर की महिमा के बारे में। यहां श्रद्धालुओं ने जो मनोकामनाएं की वह हनुमानजी ने पूरी की। आसपास के ग्रामीणवासी और बदनपुर के श्रद्धालुओं की तो मंदिर में आस्था है ही, दूर दराज से आए लोगों की आस्था भी मंदिर से जुड़ती जा रही है। मंदिर के पुजारी राम मोहन शर्मा ने बताया कि हनुमानजी की महिमा सबसे निराली है, मैं 4 साल से हनुमान जी महाराज की सेवा कर रहा हूं। मैं जीवन भर हनुमानजी की सेवा करुंगा। हनुमानजी के दरबार में हर मंगलवार और शनिवार को भजन कीर्तन और स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार हनुमानजी को चोला चढ़ाया जाता है।
मंदिर के जीर्णोद्धार में जुटे श्रद्धालु
स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था हनुमानजी के प्रति इतनी अच्छी है की कुछ वर्षों से मंदिर का निर्माण भी अधूरा था। गांव के मुखिया रमेश लाहोटी और गुफ़ा वाले महंत आनंद भारती गुरुजी, प्रकाश नारायण विश्वकर्मा, सरदार सिंह मीणा एवं यादव परिवार ने सभी ग्राम वासियों की एक मीटिंग बुलाई और मंदिर निर्माण के लिए ग्रामवासियों से गुजारिश की। ग्रामवासियों ने अपनी इच्छा अनुसार मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया। अभी मंदिर का निर्माण चल रहा है। हनुमानजी की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र हैं। आकर्षक सजावट और सुंदर प्रतिमाएं देखने के लिए सांझ ढलते ही हनुमानजी के भक्त उमड़ पड़ते हैं।
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