October 24, 2025

करमवीर भारत

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मध्य प्रदेश में 873 लोगों पर एक पुलिसकर्मी, सरकार का लक्ष्य—तीन साल में 22 हजार नई भर्तियां

 

भोपाल
 मध्य प्रदेश में औसतन 873 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक पुलिसकर्मी पर है। मुख्यमंत्री ने तीन वर्ष के भीतर 22,500 पुलिस आरक्षकों की भर्ती की घोषणा की है। इसे सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन सच्चाई है कि प्रतिवर्ष दो से ढाई हजार पुलिस आरक्षक सेवानिवृत हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2024 में 60 हजार पुलिस आरक्षकों की भर्ती की।

इस वर्ष भी वहां पुलिस आरक्षक और उप निरीक्षकों के लगभग 30 हजार पदों पर भर्ती होने वाली है। मध्य प्रदेश में पुलिस बल की कमी के चलते बड़ी चुनौती वर्ष 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में सुरक्षा को लेकर रहेगी। इसमें 60 हजार पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी।

थाने नहीं बढ़ाने से पुलिस बल भी नहीं बढ़ा

प्रदेश में पुलिस आरक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक के एक लाख 25 हजार 489 पद हैं। इनमें अभी एक लाख 600 ही पदस्थ हैं। जब कोई थाना स्वीकृत होता है, तभी उसके लिए बल स्वीकृत किया जाता है। जरूरत के अनुसार थाने नहीं बढ़ने के कारण पुलिस बल भी नहीं बढ़ा।

सरकार का ही मापदंड मान लें, तो पचास हजार की आबादी पर जिला पुलिस बल का एक थाना होना चाहिए, इस हिसाब से प्रदेश की अनुमानित आठ करोड़ 90 लाख की जनसंख्या के हिसाब से 1700 से अधिक थाने होने चाहिए, पर अभी 968 ही हैं।

एक साथ भर्ती में यह हैं चुनौतियां

    प्रदेश में आठ पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में 7850 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की सुविधा है। उन्हें नौ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे अधिक पदों पर भर्ती होने पर प्रशिक्षण के लिए प्रतीक्षा करनी होगी।

    पुलिस आरक्षक के पदों पर आनलाइन परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्रों की कमी रहती है। इस कारण कर्मचारी चयन मंडल को परीक्षा कराने में दो से तीन माह लग जाते हैं। इसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में दो से तीन माह लग जाते हैं। छह से सात हजार पद भरने में ही लगभग डेढ़ वर्ष लग जा रहे हैं।

    तीसरा, बजट के अभाव के कारण भी सरकार एक साथ बड़ी भर्ती करने से बच रही है।

खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत

    जिस तरह से अपराध बढे हैं, उस तरह से पुलिसबल की संख्या बढ़ाने के साथ उसे ताकतवर बनाना होगा। विशेष रूप से खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। सरकार आंकड़े कुछ भी दिखाए, पर स्थिति ठीक नहीं है। जैसे-जैसे बेरोजगारी बढ़ रही है, युवा अपराध की ओर जा रहे हैं। औसतन देखा जाए तो जितने पुलिसकर्मी रिटायर हो रहे हैं, सरकार उतने भी भर्ती नहीं कर पा रही है। – अरुण गुर्टू, पूर्व, डीजी, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त