भोपाल.
प्रदेश अब उपभोक्ताओं को बिजली के बिल जमा करने की नियत तिथि से न्यूनतम दस दिन पूर्व प्रदाय करना होगा। ऐसा नहीं होंने पर पांच सौ रुपए तक के बिल पर विलंब की अवधि हेतु दस रुपए प्रति दिन क्षतिपूर्ति प्रभावित उपभोक्ता को देना होगा। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वितरण तथा अनुपालन मानदंड में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है। प्रदेश की बिजली कंपनियां निजी ठेकेदारों से बिजली रीडिंग लेने, बिल मुद्रण तथा वितरण का काम करवाती है।
बिल जिस तिथि को चुकाना है उससे दस दिन पूर्व उपभोक्ता को प्राप्त हो जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में बिजली उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति देना होगा। इसमें यदि बिल की राशि पांच सौ रुपए या उससे कम हो तो विलंब की अवधि हेतु दस रुपए प्रति दिन अथवा उसका कोई अंश और चालू बिल की राशि पांच सौ रुपए से अधिक हो तो चालू बिल की राशि का दो प्रतिशत जिसे रुपए सौ प्रति दिवस अथवा उसका कोई अंश की अधिकतम सीमा के अध्यधीन निकटतम पूर्णाक तक पूर्णांकित करते हुए क्षतिपूर्ति के रुप में भुगतान करना होगा। बिजली कंपनियां इस क्षतिपूर्ति की राशि रीडिंग और बिल वितरण करने वाले ठेकेदार से वसूल कर सकेगी।
क्यों पड़ी जरूरत
अक्सर बिजली बिल भुगतान की अवधि तक प्रदाय नहीं किए जाने और बाद में उपभोक्ता से देरी के लिए दांडिक जुर्माने की राशि वसूल करने का प्रावधान है। कई स्थानों से यह शिकायत आ रही थी कि बिल का वितरण हुआ ही नहीं और देरी पर उपभोक्ता को दांडिक राशि पैनाल्टी के रुप में वसूली जा रही है या अगले महीने के बिल के साथ इसकी वसूली की जाती है। परेशान उपभोक्ता इसके लिए आवेदन देते है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं होती। इसलिए यह प्रावधान किया गया है और इसमें बिल वितरण करने वाले को प्रमाणित करना होगा कि वितरण में देरी उसके ओर से नहीं की गई है।
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