भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग के आनलाइन सिस्टम ने प्राइवेट कालेजों की कमर तोड़ दी हैं। जहां अंतिम तिथि बीतने के पहले सीटें फुल होने के बाद बोर्ड पहले लग जाते थे। वे कॉलेज एक-एक विद्यार्थी को प्रवेश देने के लिये अंतिम तिथि बढ़ाने की गुजारिश में लगे हुये हैं। निजी कालेजों में 22 फीसदी प्रवेश होने पर चार लाख से ज्यादा सीटें रिक्त बनी हुई हैं। जबकि सरकारी कालेजों में एक लाख तीस हजार सीटें रिक्त हैं। उनके यूजी-पीजी में 75 फीसदी प्रवेश हुये हैं।
यूजी-पीजी की स्थिति | |||
कालेज | सीट | प्रवेश | रिक्त सीटें |
सरकारी | |||
यूजी | 3,84,122 | 2,84,120 | 1,00,002 |
पीजी | 1,35,142 | 1,05,149 | 30,293 |
निजी | |||
यूजी | 4,47,816 | 89,90,155 | 3,57,861 |
पीजी | 83,378 | 26,307 | 63,071 |
अनुदान प्राप्त | |||
यूजी | 46,000 | 13,770 | 33,230 |
पीजी | 15,842 | 4,850 | 10,992 |
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के 1329 निजी, सरकारी और अनुदान प्राप्त कालेजों के यूजी-पीजी में करीब पांच लाख 28 हजार प्रवेश हो चुके हैं। काउंसलिंग खत्म होने के प्रदेश के कालेजों में छह लाख सीटें रिक्त हैं। प्रदेश में यूजी-पीजी की करीब सवा 11 लाख सीटें हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रवेश सरकारी कालेजों में हुए हैं। जबकि प्राइवेट कालेजों की संख्या ज्यादा होने के बाद सीटें कम हैं। इसके बाद भी उनकी स्थिति काफी लचर बनी हुई है। उन्हें अभी तक यूजी-पीजी में 22 फीसदी ही प्रवेश हुए हैं। शेष सरकारी और अनुदान प्राप्त कालेजों में प्रवेश हुए हैं।
निजी कालेजों में चार लाख से ज्यादा सीटें रिक्त हैं। जबकि एक समय था जब विद्यार्थी सरकारी को नजरअंदाज कर प्राइवेट कालेजों में प्रवेश लेकर डिग्री करने में दिलचस्पी लेते हैं। इसका कारण सरकारी कालेजों की स्थिति में काफी सुधार हुआ हैं। उनकी अधोसंरचना में काफी परितर्वन हुआ है। यहां तक तक स्टाफ की काफी हद तक पूर्ति की गई है।
असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती से बढ़ा विश्वास
असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती से विद्यार्थियों का सरकारी कालेजों की व्यवस्था में विश्वास बना है। वहीं कमाई का जरिया बनाने वाले प्राइवेट कालेज उचित मापदंडों पर फैकल्टी तक नहीं रख पा रहे हैं। इससे उनकी दीवारें रंगीन तो दिखती हैं, लेकिन उनकी फैकल्टी बेअसर है। इसलिए विद्यार्थी प्राइवेट को छोड़ सरकारी कॉलेजों को महत्व दे रहे हैं।
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