July 8, 2024

करमवीर भारत

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अवैध घुसपैठ मामले में हाई कोर्ट ने सऊदी अरब और बांग्लादेश दूतावास को जारी किया नोटिस

 

 ग्वालियर

मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक विदेशी नागरिक के भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ करने के मामले में उससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है और इसके लिए सऊदी अरब और बांग्लादेश दूतावास को नोटिस जारी किया है। ये नोटिस उसी विदेशी नागरिक की याचिका पर जारी किये गए है जिसे ग्वालियर पुलिस ने 2014 में गिरफ्तार किया था, विदेशी युवक ने याचिका में पुलिस और प्रशासन पर अवैध रूप से डिटेंशन सेंटर में रखने के आरोप लगाये हैं।

अवैध घुसपैठ के आरोप में सजा मिली थी अलमक्की को

आपको बता दें कि ग्वालियर की पड़ाव थाना पुलिस ने 21 सितम्बर 2014 को स्टेशन बजरिया क्षेत्र से एक विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया था उसके उसके पास कुछ ऐसे प्रमाण थे जिससे साबित हुआ कि वो विदेशी नागरिक है और अवैध तरीके से भारत में घुसा है, उसक नाम अलमक्की था, कोर्ट ने 22 अगस्त 2015 को उसे 3 साल की सजा सुनाई, 2017 में उसकी सजा पूरी हुई लेकिन उसे कहाँ भेजा जाये इस उधेड़बुन में उसे 9 महीने तक और ग्वालिरो सेन्ट्रल जेल में ही रखा गया।

ग्वालियर के डिटेंशन सेंटर में रह रहा है अलमक्की, लगाई है बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका  

12 जून 2018 को अलमक्की सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर भाग गया, उसकी लोकेशन हैदराबाद मिली और पुलिस ने उसे हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया, पुलिस ने जेल से भागने के आरोप में उसपर केस दर्ज किया फिर कोर्ट ने 2021 में तीन साल की सजा सुनाई, लेकिन इस बार उसे डिटेंशन सेंटर में रखा गया, यहाँ रहते हुए अलमक्की ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई है जिसमें उसे अवैध रूप से डिटेंशन सेंटर में रखने के आरोप पुलिस और प्रशासन पर लगाये हैं ।

सऊदी अरब का ड्राइविंग लाइसेंस और  बांग्लादेश का पासपोर्ट मिला था अलमक्की के पास

दरअसल अलमक्की के पास मिले दस्तावेजों में सऊदी अरब का ड्राइविंग लाइसेंस  और बांग्लादेश का पासपोर्ट शामिल हैं, शुरुआत में अलमक्की खुद को बांग्लादेशी नागरिक बताता रहा बाद में उसने खुद को सऊदी अरब का निवासी बताया, अब प्रशासन के पास ये दुविधा है किअलमक्की को कहाँ भेजा जाये, इसलिए ग्वालियर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अलमक्की की ही याचिका पर सऊदी अरब और बांग्लादेश दूतावासों को नोटिस जारी कर उनसे अलमक्की के मूलनिवासी होने की जानकारी मांगी है, कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है।