ग्वालियर
कूनो अभ्यारण्य में चीतों को बसाने की ऐतिहासिक परियोजना के साथ एक रोचक इतिहास की भी पुनरावृत्ति हुई है। सिंधिया राजवंश के महाराज माधौराव सिंधिया ने 1904-05 में यहां दक्षिण अफ्रीका से लाकर शेरों को बसाया था। उन्हें रखने के लिए डोबकुंंड के पुरातात्विक महत्व के वन क्षेत्र में 20-20 फीट ऊंचे कई पिंजरे बनवाए थे। अब स्व. माधौराव की चौथी पीढ़ी के वशंज ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय उड्डयन मंत्री के रूप में अफ्रीकन चीते लाकर कूनो के जंगलों में बसाने की योजना का हिस्सा हैं। खास बात यह है कि दक्षिण अफ्रीका से 10 शेर जब मुंबई बंदरगाह पर पहुंचे तब खुद महाराज माधौराव उन्हें रिसीव करने पहुंचे। अब उनके परपोते ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद विशेष विमान से चीतों को लेकर कूनो पहुंचे हैं।
देश नहीं बल्कि विश्व के लिए सौगात: सिंधिया
ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि देश के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के लिए बहुत बड़ी सौगात है। विश्व में पहली बार चीतों का विस्थापन हो रहा है। देश की धरती पर ऐसे आविष्कार किए जा रहे हैं जो विश्व में कहीं नहीं रहा और ऐसा ही उदाहरण कूनो पालपुर है। यूरोप और एशिया में कोई और जगह नहीं है जहां चीतों की स्थापना हुई है केवल भारत में मध्य प्रदेश के अंदर कूनो में स्थापना हुई। प्रधानमंत्री जी द्वारा यह मध्य प्रदेश के लिए उपहार हैं जो यहां के वन्यजीवन को और समृद्ध करेगा तथा पर्यटन और समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा-एक नई गूंज, एक नई दहाड़, एक नई गरज कूनो पालपुर से हमें सुनाई देगी, इस बार चीतों की, देश में ये एक अनोखा क्षेत्र होगा, अनोखा स्थान होगा।
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