भोपाल
आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी को देश की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने के लिये जरूरी है कि हम प्राचीन गौरव को लौटाने के लिये स्वत्व के भाव को जागृत करें। स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने यह बात सुभाष एक्सीलेंस स्कूल भोपाल में मध्यप्रदेश शिक्षक संघ द्वारा "इण्डिया से भारत की ओर'' विषय पर आयोजित व्याख्यान में कही।
राज्य मंत्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत की प्राचीन संस्कृति, धरोहर और गौरव को लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। इसके माध्यम से विद्यार्थियों और युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परम्परा से रू-ब-रू होने का अवसर मिलेगा। हमारे देश का ज्ञान और विज्ञान उत्कृष्टता के चरम स्थान पर मौजूद रहा है, जिसका अध्ययन करने के लिये विदेशों से विद्वान भारत आये, जिनका उल्लेख उन्होंने अपने ग्रंथों और किताबों में किया। हम सभी के लिये जरूरी है कि हम प्रमुखता से उनको जाने, समझें, अपनायें और अपनी भावी पीढ़ियों को सौंपे।
राज्य मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षकों को अपने शैक्षणिक दायित्वों को बाजारवाद से प्रभावित हुए बगैर निभाना है। अध्यापन कार्य राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण कार्य है। शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता इसलिये कहा गया है, क्योंकि वे देश के भविष्य को विद्यार्थियों और युवाओं के रूप में गढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को आजादी के 100वें वर्ष में समृद्धशाली भारत निर्माण के संकल्प के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।
मुख्य वक्ता डॉ. राजेश सेठी ने कहा कि हमारे देश की विडंबना है कि अंग्रेजों से आजादी के बाद हम स्वाधीन तो हो गए. लेकिन अपने स्व (पुरुषार्थ) को भूल गए। हमें अपने स्व को पुनर्जागृत करना होगा तभी हम इंडिया से भारत की ओर अग्रसर हो सकेंगे।
व्याख्यान में बृजमोहन आचार्य, देवीदयाल भारती, छत्रवीर सिंह राठौर, श्रीमती सीमा गुप्ता एवं मप्र शिक्षक संघ के पदाधिकारी एवं शिक्षक शामिल हुए।
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