नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत हासिल जानकारी मिलने का दावा करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से 1 लाख 51 हजार 564 करोड़ रुपए का हिसाब मांगा है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फेंस में कागजात दिखाते हुए कहा कि चार साल से दिल्ली सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं किया है। उन्होंने आरटीआई का हवाला देते हुए कहा कि 2019 तक डीटीसी 38,753 करोड़ रुपए के घाटे में है जबकि दिल्ली जल बोर्ड पर 57 हजार 895 करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है।
मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्लीवासियों को जानकार आश्चर्य होगा कि पिछले चार साल से सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट टेबल ही नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार क्या परिवार को भी बैलेंस सीट बनाना पड़ता है। तिवारी ने पूछा कि आखिर क्यों केजरीवाल सरकार सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में नहीं पेश कर रही है। क्या छिपाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार जवाब नहीं देगी, लेकिन उन्होंने आरटीआई के जरिए इसे हासिल कर लिया है।
डीटीसी 2019 तक 38,753 करोड़ रुपए के घाटे में: तिवारी
तिवारी ने कहा, ''दिल्ली का 1 लाख 51 हजार 564 करोड़ कहां चला गया है, इसका कोई अता-पता नहीं है। मैं जो भी कह रहा हूं वह सब आरटीआई के हवाले से है। डीटीसी जो 2013 के पहले 00 पर हुआ करती थी वह उससे पहले अच्छे मुनाफे में थी। लेकिन 2019 तक डीटीसी को 38,753 करोड़ का नुकसान दिखा दिया गया। लेकिन बैलेंस सीट नहीं दिया, नुकसान कहां हुआ है, कौन सी बस नई लाए हैं? क्या 3 करोड़ की आबादी में 3500 बसें काफी हैं। 5280 करोड़ रुपए का नुकसान 2020 में बताया गया है। 2021 और 2022 का बाकी है। आप दिल्ली की जमापूंजी को कहीं ले गए हैं?''
बीजेपी ने कहा- दिल्ली जल बोर्ड करीब 58 हजार करोड़ का कर्ज
मनोज तिवारी ने दिल्ली जल बोर्ड पर 58 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का दावा करते हुए कहा, ''दिल्ली जल बोर्ड जो 2013 से पहले 600 करोड़ का फायदा देता था, जब हमने आरटीआई निकाला है तो यह कहता है कि 57 हजार 895 करोड़ का कर्ज है दिल्ली जल बोर्ड पर। लोन लेकर क्या किया? क्या सबके घर पाइप चली गई, क्या टैंकर माफिया का सामना नहीं करना पड़ता दिल्लीवालों को, क्या यमुना जी का पानी साफ हो गया। इनमें से कुछ नहीं हुआ लेकिन करीब 58 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया। इससे क्या किया यह तब पता चलेगा जब सीएजी की रिपोर्ट आएगी। 2015-16 के बाद दिल्ली जल बोर्ड का बैलेंस सीट ही नहीं बना है। क्या पता आप इस पैसे से पंजाब का चुनाव लड़े, छत्तीसगढ़ का चुनाव लड़े, उत्तराखंड का लड़े, क्या किया हमें तो पात ही नहीं। 22 चिट्ठियां सीएजी ने लिखी है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने एक का भी जवाब नहीं दिया है।''
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