महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की है। भाजपा 124 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, शिवसेना 55 और एनसीपी 36 सीटों पर आगे चल रही है। महाराष्ट्र की तस्वीर साफ होते ही अब मुख्यमंत्री पद को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। भाजपा की तरफ से देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग होने लगी है। वहीं, शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे के हाथों में ही महाराष्ट्र की कमान रहने देने की बात कही जा रही है। अब सबकी निगाहें भाजपा पर जा टिकी हैं।
भाजपा के अगले कदम को लेकर अटकलें लगाने से पहले बिहार में विधानसभा चुनाव की गणित को समझना जरूरी है, जो कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बना था। भाजपा ने उस समय कम सीटें आने के बावजूद नीतीश कुमार के नेतृत्व को अपनाया था। उस चुनाव में भाजपा के खाते में 74 और नीतीश कुमार की जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिली थी। इसके बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार किया था।
भाजपा के पास इस समय राष्ट्रीय राजनीति में एक ऐसा संदेश देने का अवसर है, जिसमें वह गठबंधन की राजनीति पर बड़ा दिल दिखाए। भाजपा फिलहाल केंद्र में भी गठबंधन सरकार चला रही है। ऐसे में वह यह संदेश नहीं देना चाहती कि ज्यादा सीट मिलने पर उसका रुख बदल जाता है।
बिहार से अलग है महाराष्ट्र की स्थिति
भाजपा के लिए बिहार की तुलना में महाराष्ट्र की स्थिति अलग है। बिहार में उसके पास नीतीश कुमार की कद के बराबर का कोई चेहरा नहीं था। लेकिन महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे से बड़ा कद देवेंद्र फडणवीस का चेहरा है, जो कि राज्य की कमान और भाजपा की कमान संभाल चुके हैं। ऐसे में भाजपा के पास सत्ता पर कंट्रोल करने का एक बड़ा अवसर है।
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