नई दिल्ली। दिल्ली में 200 रुपए किलो, मुंबई में 200 रुपए किलो, गाजियाबाद में 250 रुपए किलो, जून के पहले हफ्ते में टमाटर इसी भाव में बिका। ज्यादातर बड़े शहरों में अब भी इसका रिटेल प्राइस 140 से 180 रुपए किलो है। अप्रैल में यही टमाटर 10 से 20 रुपए किलो था। गणित के हिसाब देखें तो इसकी कीमतें 2100% तक बढ़ गईं।
आखिर टमाटर इतना महंगा क्यों हो गया, इसका जवाब जानने हम आंध्रप्रदेश के चित्तूर और कर्नाटक के कोलार पहुंचे। आंधप्रदेश के मदनपल्ली में एशिया की सबसे बड़ी टमाटर मंडी है। यहां सीजन में एक दिन में 200 ट्रक या 21 हजार किलो तक टमाटर बिकने आता है। वहीं, कोलार टमाटर की सबसे ज्यादा खेती वाला जिला है।
रेट कम हुए, पर अच्छी क्वालिटी का टमाटर अब भी 140 रुपए किलो
मदनपल्ली की मंडी में नागेश नाम के एक किसान कोलबेल गांव से टमाटर बेचने आए थे। हमने उनसे कीमतों का गणित समझने की कोशिश की। पूछा- आज टमाटर कितने में बिका। जवाब मिला, ‘2 हजार रुपए का एक बॉक्स। एक बॉक्स में 30 किलो टमाटर आता है। मेरा टमाटर मीडियम क्वालिटी का था। नहीं तो फर्स्ट क्वालिटी के रेट 2500 से 3 हजार रुपए तक हैं।’
हालांकि, इस मंडी में 25 जुलाई को टमाटर का सबसे ज्यादा रेट 14 हजार रुपए क्विंटल यानी 140 रुपए किलो था, एवरेज रेट 129 रुपए किलो। सबसे सस्ता टमाटर भी 105 रुपए किलो बिका।
क्वालिटी का टमाटर 2600 रुपए में नीलाम हुआ है। सेकेंड क्वालिटी का टमाटर 1500 से 1800 रुपए तक गया। थर्ड क्वालिटी का 600-700-800 रुपए तक बिका। यहां 30 किलो टमाटर का एक बॉक्स होता है।’
प्यारे जान बताते हैं, ‘अब तो स्थिति ठीक हो रही है। 15 दिन पहले तक फर्स्ट क्वालिटी का टमाटर 4000 रुपए बॉक्स में नीलाम हुआ था, जबकि सेकेंड क्वालिटी का 2500 से 3000 रुपए तक। अब जाकर दाम गिरा है। अगले 15 दिन में स्थिति और ठीक होगी, क्योंकि दूसरे राज्यों में भी टमाटर की दूसरी फसल लग चुकी है।’
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