
तिरुवनंतपुरम
भारत में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक के तौर पर काम करने वाली कैथोलिक नन दुर्लभ हैं। हालांकि, वरिष्ठ चिकित्सक जीन रोज अपवाद हैं। वह दो वर्ष पहले पहाड़ी जिले इडुक्की में सरकारी सेवा में शामिल हुईं और वर्तमान में मरयूर के पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। भारत में पहली बार है जब किसी कैथोलिक नन को मेडिकल ऑफिसर बनाया गया है।
मरयूर एक सुदूर गांव है, जहां कई आदिवासी समुदाय रहते हैं। 'सिस्टर्स ऑफ द डेस्टिट्यूट' की सदस्य डॉ. रोज को रोसम्मा थॉमस के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु से एमबीबीएस और एनेस्थीसिया में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
सरकारी अस्पताल में नियुक्ति छोड़ी
चिकित्सा सेवा के लिए केरल पीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें 2023 में कट्टप्पना तालुक अस्पताल में अपनी पहली सरकारी नियुक्ति मिली। बाद में उन्होंने मरयूर पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरण की मांग की।
आदिवासियों की सेवा के लिए मरयूर में मांगी पोस्टिंग
डॉ. जीन रोज ने वापस लौटने के अपने निर्णय के बारे में कहा कि एमबीबीएस और पीजी की पढ़ाई के दौरान व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अपनी सेवा के दौरान, मैंने मरयूर में काम किया। वह आदिवासियों की सेवा ही करना चाहती थीं इसलिए वहां फिर से तैनाती मांगी।
उपलब्धि पर क्या बोलीं जीन रोज
'केरल कॉन्फ्रेंस ऑफ मेजर सुपीरियर्स' (केसीएमएस) और 'केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल' (केसीबीसी) जगराता आयोग की पहल 'वॉयस ऑफ नन्स' के अनुसार, डॉ. रोज सरकारी अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में सेवा करने वाली पहली नन हैं। उन्होंने कहा कि बेसहारा लोगों के लिए काम करने वाले समुदाय का हिस्सा होने के नाते मैं गरीबों और वंचितों की सेवा करना पसंद करती हूं।
कौन हैं जीन रोज नन
कोट्टायम जिले में पाला के पास चेट्टुथोडु में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने धर्मार्थ सेवाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया। डॉ. रोज पाला के मुकेलेल थॉमस और रोसम्मा की बेटी हैं, जो अब राजकुमारी, इडुक्की में बस गए हैं।
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