नई दिल्ली
भारत की कुछ प्रमुख स्पोर्ट्स बॉडीज में प्रशासनिक अव्यवस्था को लेकर काफी बातें सामने आ चुकी हैं। इसके चलते ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के मामलों को संभालने के लिए प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति (COA) के गठन का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा कि खेल संहिता का पालन करने के लिए आईओए की "लगातार अनिच्छा" ने यह अनिवार्य कर दिया कि इसके मामलों को सीओए के हाथों में रखा जाए, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप शामिल हैं।
अदालत ने IOA की कार्यकारी समिति को COA को कार्यभार सौंपने का निर्देश दिया, जिसमें पूर्व ओलंपियन अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी जॉर्ज और बॉम्बेल्या देवी सहायता करेंगे। IOA को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा भारत के लिए राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के रूप में मान्यता प्राप्त है।
सीओए खेल संहिता और अदालत के फैसलों के अनुसार आईओए के संविधान को तैयार करने और अपनाने में सहायता करेगा और चुनाव कराने और आईओए के मामलों को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई बॉडी को सौंपने की सुविधा प्रदान करेगा।
इसी बीच भारतीय ओलंपिक संघ ने मंगलवार को कहा कि वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्देश पर चर्चा करेगा। उच्च न्यायालय के निर्देश पर चर्चा के लिए आईओए के अधिकारियों की बुधवार को बैठक होने की संभावना है। आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने कहा, "आईओए के सदस्य उच्च न्यायालय के फैसले पर विस्तार से चर्चा करेंगे और तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए जाना है या नहीं।" ध्यान देने की बात है कि यह फैसला उसी दिन आया जब अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को खेल की विश्व संस्था फीफा द्वारा "तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप" के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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