
वाशिंगटन
डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को लेकर उनके घर में ही सवाल उठते रहते हैं। ट्रंप जबसे राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही यूक्रेन में युद्धविराम करवाने के प्रयास में जुटे हैं। हालांकि उनका तरीका किसी को रास नहीं आ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ रूस से व्यापार करने के लिए भारत पर टैरिफ थोप रहे हैं तो दूसरी तरफ खुलकर यूक्रेन का भी समर्थन नहीं कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक भी बेनतीजा ही रही।
अमेरिका की फॉरेन अफेयर्स कमेटी ऑफ डेमोक्रेट्स ने कहा है कि भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने से यूक्रेन युद्ध नहीं रुकने वाला है। कमेटी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को सीधा रूस को दंड देना चाहिए और यूक्रेन में अपनी सेना भेज देनी चाहिए। इससे पहले अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि अगर व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बात नहीं बनती है तो भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जा सकते हैं।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने सोशल मीडिया पर कहा, अगर ट्रंप वास्तव में यूक्रेन में शांति चाहते हैं तो उन्हें पुतिन से निपटना चाहिए। यूक्रेन में सेनाएं भेज देनी चाहिए। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप जो कुछ भी कर रहे हैं, सब बेकार है। गुरुवार को ब्लूमबर्ग टीवी से बात करते हुए बेसेंट ने कहा था कि अलास्का की बैठक के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाएगा।
डेमोक्रेटिक हाउस पैनल डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से इत्तेफाक नहीं रखता है। डोनाल्ड ट्रंप भारत पर दबाव बनाकर रूस को अपनी शर्तें मानने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। भारत रूस से 40 फीसदी तेल खरीदता है। ऐसे में ट्रंप का मानना है कि भारत अगर रूस से तेल खरीद कम कर देगा तो रूस भी दबेगा और अमेरिका की बात मान लेगा। हालांकि भारत ने साफ कह दिया है कि वह किसी तरह के दबाव में नहीं आने वाला है। प्रधानमंत्री ने लालकिले से भी डोनाल्ड ट्रंप को सुनाते हुए कहा था कि आर्थिक स्वार्थों के चलते कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में हमें अपनी लकीर बड़ी करने की जरूरत है।
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