नई दिल्ली
भारत को विदेशी निवेश का पसंदीदा केंद्र बनाने में हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमान से अधिक 7.2 प्रतिशत रही। गत जून में देश में जीएसटी संग्रह, विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ), यात्री वाहनों की बिक्री और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) के जरिये हुए लेनदेन में प्रभावी वृद्धि दर्ज की गई है।
ऐसे उत्साहवर्द्धक आर्थिक आंकड़ों से दुनियाभर के वित्तीय संगठन और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के छह से 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद व्यक्त कर रही हैं। कहा जा रहा है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में नई शक्ति प्राप्त कर रहा है। चार वैश्विक रुझान-जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डिकार्बोनाइजेशन और डिग्लोबलाइजेशन नए भारत के पक्ष में हैं। साथ ही देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेशक भारत की ओर देखने लगे हैं।
मोदी सरकार ने उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए विगत नौ वर्षों में करीब 1,500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन समाप्त किए हैं। इस दौरान आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी और दिवालिया कानून जैसे सुधार किए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। कारपोरेट टैक्स को कम किया गया है। भारत के युवाओं ने डिजिटल और उद्यमिता के क्षेत्र में दुनिया भर में दबदबा कायम किया है और 100 से ज्यादा यूनिकार्न बनाए हैं। पिछले नौ साल में एक लाख से ज्यादा स्टार्टअप भी शुरू हुए हैं। कानून के कई प्रविधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने जैसे कदमों से देश में विदेशी निवेश का प्रवाह तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार जिन रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है, उससे देश में विदेशी निवेश बढ़ रहा है। भारत को एक वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए मेक इन इंडिया 2.0, मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने के लिए उद्योग 4.0, स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया, मल्टीमाडल कनेक्टिविटी अवसंरचना परियोजना के लिए पीएम गतिशक्ति और उद्योगों को डिजिटल तकनीकी शक्ति प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसी सफल गतिविधियों के कारण भारत चौथी औद्योगिक क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
भारतीय कंपनियां शोध एवं नवाचार में आगे बढ़ रही हैं। आटोमेशन और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों पर भी उद्योग जगत की ओर से अपेक्षित ध्यान दिया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) स्कीम के तहत 14 उद्योगों को करीब 1.97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन सुनिश्चित किया है। अब पीएलआइ स्कीम के सकारात्मक परिणाम आने शुरू भी हो गए है। इसकी बदौलत इस समय एशिया में अधिकांश निवेशकों को भारत से बेहतर कोई नहीं दिख रहा है। भारतीय शेयर बाजार में तेजी की यह भी एक बड़ी वजह है।
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के बाद उद्योग-कारोबार से संबंधित ऐसा महत्वपूर्ण परिदृश्य उभरकर सामने आ रहा है, जिससे भारत दुनिया का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब बनते हुए दिखाई देगा। माइक्रोन, एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसी कंपनियों की घोषणाओं से आने वाले दिनों में लाखों की संख्या में नई नौकरियां भी सृजित होंगी। कंप्यूटर चिप बनाने वाली अमेरिकन कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में अपने सेमीकंडक्टर असेंबली एवं परीक्षण संयंत्र के परिचालन को वर्ष 2024 के अंत तक शुरू करने की घोषणा की है, जिस पर करीब 2.75 अरब डालर खर्च किए जाएंगे। देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण से अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल जाएगी, क्योंकि सेमीकंडक्टर उद्योग स्टील, गैस और रसायन की तरह आधारभूत उद्योग है, जो कई सेक्टर की जरूरतों को पूरा करता है।
सेमीकंडक्टर के निर्माण से आटोमोबाइल, इलेक्ट्रानिक्स एवं रक्षा सेक्टर को काफी लाभ मिलेगा। उम्मीद करें कि भारत नई लाजिस्टिक नीति, गतिशक्ति योजना के कारगर कार्यान्वयन, नीतिगत सुधारों, कारोबार आरंभ करने के लिए सिंगल विंडो मंजूरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, श्रमिकों को नए दौर के अनुरूप प्रशिक्षण देने के साथ-साथ विभिन्न आर्थिक और वित्तीय सुधारों से अगले वर्ष दुनिया के शीर्ष पांच पसंदीदा एफडीआइ वाले देशों की सूची में दिखाई देगा। इसका देश की आर्थिकी को व्यापक रूप से लाभ मिलेगा।
(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)
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