
मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक खातों और लॉकर में रखी वस्तुओं के संबंध में मृत ग्राहकों के दावे निपटाने की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए नया प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य है कि बैंक ग्राहक या उनके परिवार को ज्यादा कागजी कार्रवाई और इंतजार का सामना न करना पड़े. इसके लिए RBI ने “ड्राफ्ट सर्कुलर- मृत ग्राहकों के दावे निपटाने संबंधी दिशा निर्देश, 2025” जारी किया है. इस पर जनता और संबंधित पक्ष 27 अगस्त 2025 तक अपने सुझाव दे सकते हैं.
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
RBI का कहना है कि अभी देश के अलग-अलग बैंकों में मृत ग्राहक के खाते या लॉकर से संबंधित दावों के लिए अलग-अलग नियम और प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं. इससे परिवार को परेशानी होती है और कई बार महीनों तक मामले अटके रहते हैं. नए नियमों से एक समान प्रक्रिया होगी और ग्राहक सेवा में सुधार आएगा. RBI ने कहा है कि यह नए नियम 1 जनवरी 2026 तक लागू कर दिए जाएंगे. इससे बैंकिंग सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी और भरोसा बढ़ेगा और मृतक ग्राहक के परिजनों को आर्थिक और मानसिक राहत मिलेगी.
Nominee होने पर आसान प्रक्रिया
अगर बैंक खाते या लॉकर में पहले से ही नामांकित व्यक्ति दर्ज है, तो उसे केवल तीन दस्तावेज जमा करने होंगे:
क्लेम फॉर्म- दावा करने के लिए बैंक का तय फॉर्म.
डेथ सर्टिफिकेट- मृतक ग्राहक का आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र.
पहचान और पते का प्रमाण- नामांकित व्यक्ति का आधार, पासपोर्ट या दूसरे वैध पहचान पत्र.
इसके बाद बैंक को दस्तावेज मिलने की तारीख से 15 दिन के भीतर दावा निपटाना होगा.
बिना नॉमिनी वाले मामलों के लिए सरलीकृत प्रक्रिया
– जिन खातों में कोई नॉमिनी नहीं है, उनके लिए बैंक को एक सरल प्रक्रिया अपनानी होगी। बैंकों को अपनी जोखिम प्रबंधन प्रणाली के आधार पर, कम से कम ₹15 लाख की एक सीमा तय करनी होगी।
– ₹15 लाख तक के दावे के लिए, नॉमिनी को एक बॉन्ड ऑफ इंडेम्निटी (indemnity bond) और अन्य जरूरी दस्तावेज देने होंगे।
– इस सीमा से ऊपर के दावों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (succession certificate) या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी कानूनी वारिस प्रमाण पत्र (legal heir certificate) जैसे दस्तावेज जरूरी होंगे।
ये नए नियम, यदि लागू हो जाते हैं, तो यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्राहकों के परिजनों को बैंक से संबंधित प्रक्रियाओं में कम परेशानी हो। RBI इन नियमों को 1 जनवरी, 2026 तक लागू करने की योजना बना रहा है।
नामांकन न होने पर क्या होगा?
अगर कोई नामांकन नहीं किया गया है, तो बैंक को भी एक आसान प्रक्रिया अपनानी होगी, लेकिन इसके लिए एक थ्रेसोल्ड लिमिट तय की जाएगी. यह कम से कम 15 लाख रुपये होगी.
थ्रेसोल्ड लिमिट तक के दावे- दावेदार को
इंडेम्निटी बॉन्ड (यह वादा कि अगर आगे कोई दावा हुआ तो जिम्मेदारी दावेदार की होगी)
जरूरत पड़ने पर बाकी कानूनी वारिसों से ‘नो ऑब्जेक्शन’ पत्र देना होगा.
थ्रेशोल्ड लिमिट से अधिक के दावे-
उत्तराधिकार प्रमाणपत्र
या कानूनी वारिस का प्रमाण पत्र
या शपथ पत्र देना होगा.
लॉकर और सेफ कस्टडी के दावे
अगर मृत ग्राहक ने बैंक में लॉकर या सेफ कस्टडी में सामान रखा है और कोई नामांकित व्यक्ति दर्ज नहीं है, तो बैंक को सभी दस्तावेज मिलने के 15 दिन के भीतर दावा प्रोसेस करना होगा. इसके बाद बैंक दावेदार को लॉकर का इन्वेंट्री लेने (सामान की लिस्ट और हैंडओवर) की तारीख बताएगा.
ट्रांसपेरेंसी के नए नियम
सभी बैंक अपनी शाखाओं में और वेबसाइट पर स्टैंडर्ड फॉर्म उपलब्ध कराएंगे.
वेबसाइट पर दस्तावेजों की सूची और प्रक्रिया का विवरण भी रहेगा.
इससे ग्राहक को पता रहेगा कि किस स्थिति में कौन-कौन से कागज देने होंगे.
देरी होने पर मुआवजा
खातों से जुड़े दावे- अगर बैंक तय समय में दावा निपटाने में विफल रहता है और गलती बैंक की है, तो उसे बैंक रेट + 4 फीसदी सालाना ब्याज के हिसाब से मुआवजा देना होगा.
लॉकर/सेफ कस्टडी- अगर तय समय से देरी होती है, तो बैंक को दावेदार को 5,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा देना होगा.
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