
भोपाल
भोपाल सिटी बसों को जल्द ही फेयरवेल मिल सकता है. ये बात भोपाल सिटी बसों की मौजूदा हालात बता रही है. सिटी बसें जो भोपाल वासियों के ट्रांसपोर्ट के लिए अहम हिस्सा मानी जानी जाती है जल्दी ही ढहने की कगार पर है. अगर ऐसा होता है तो शहर के करीब 1.5 लाख बस यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में यात्रियों के पास कैब या ऑटो का ही विकल्प रह जाएगा.
सिटी बसों के खस्ताहाल
आज से करीब 15 साल पहले, 2010 में बीआरटीएस के साथ शुरू हुई भोपाल सिटी बसें आज पूरी तरह से कमजोर हो गई है. पहले 368 सिटी बसें 24 रूट पर चला करती थी वहीं अब इन रुट्स की संख्या मात्र 6 हो गई है. इन छह रुट्स पर अब केवल 80 बसें ही संचालित होती है. शहर में सिटी बसों की संख्या अब इक्का-दुक्का के बराबर रह गई है. इन सब की वजह अगर कुछ है तो वो है अनुबंध, यानी बसों का कॉनट्रैक्ट.
दरअसल, स्थिति और बिगड़ सकती है, क्योंकि अगस्त-सितंबर में भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) और मौजूदा आपरेटर का अनुबंध खत्म हो रहा है। नवीनीकरण न होने पर रोजाना पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर निर्भर करीब डेढ़ लाख यात्रियों को निजी वाहन, आटो या कैब का सहारा लेना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि पहले बसों की फ्रीक्वेंसी पांच से दस मिनट की थी, लेकिन अब यात्रियों को आधा घंटा से लेकर 40-45 मिनट तक इंतजार करना पड़ रहा है। नतीजतन बस यात्रियों की संख्या घटकर महज 10 से 12 हजार रह गई है। सूत्रों की मानें तो अनुबंध नवीनीकरण न होने और ई-बसों की डिलीवरी टलने से यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।
कॉनट्रैक्ट खत्म होने के कगार पर
अगस्त-सितंबर में भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) समेत अलग-अलग ऑपरेटरों का कॉनट्रैक्ट खत्म होने वाला है.
अगर इन कॉनट्रैक्ट को दोबारा से रिन्यूवल नहीं किया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है. यात्रियों को बसों से नहीं बल्कि ऑटो और कैब से सफर करना पड़ेगा, जिसमें बसों के मुकाबले टिकट भी ज्यादा लगती है और एक बार में ज्यादा यात्री भी सवार नहीं हो सकते. अगर आने वाले एक- दो महीनों में कॉनट्रैक्ट को फिर से चालू नहीं किया गया तो यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ सकती है.
शहर में इन रूट्स पर चल रहीं बसें
फिलहाल एसआर-2 नीलबढ़–कटारा हिल्स, एसआर-4 करोंद–बैरागढ़ चीचली, एसआर-5 चिरायु–अवधपुरी, टीआर-4 बी गांधी नगर–वर्धमान, मिडी बस रूट 413 नीलबढ़–कोकता और टीआर-4 चिरायु–रानी कमलापति स्टेशन ही चालू हैं। हालांकि बीसीएलएल के अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसें आने से समस्या हल होगी।
करीब 100 ई-बसों को मंजूरी दो साल पहले मिल चुकी थी, लेकिन अब तक डिलीवरी नहीं मिली। नवंबर-दिसंबर तक आने की संभावना है, पर संचालन नए साल से पहले मुश्किल दिख रहा है। इधर, बाग सेवनिया डिपो में 149 बसें डेढ़ साल से खड़ी हैं। आपरेटर भुगतान विवाद के चलते उन्हें सड़क पर उतारने को तैयार नहीं है। मामला अदालत में लंबित है।
ई-बसों पर टिकी नजरें
सिटी बसों की मौजूदा स्थिति पर BCLL के अधिकारियों का कहना है कि शहर में ई-बसों के संचालन से ये समस्था दूर हो सकती है. लेकिन शहर में ई-बसों के संचालन के लिए, 2 साल पहले ही 100 ई-बसों को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन बसों की डिलीवरी आज तक नहीं हुई है. नवंबर-दिसंबर तक इन बसों की डिलीवरी हो सकती है लेकिन फिर संचालन में कुछ महिने और लगेंगे. वहीं BCLL के अधिकारियों ने उम्मीद जगाई है कि बीच का रास्ता निकालकर सिटी बसों के संचालन को फिर से मजबूत किया जाएगा.
कोशिश है कि जल्द से जल्द बसें चलें
हमारा प्रयास है कि बीच का रास्ता निकालकर बसें चलाई जाएं। अब तो टिकट कलेक्शन कंपनी भी तैयार है, फिर भी बसें न चलना दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द बसें चलें। – मनोज राठौर, डायरेक्टर, बीसीएलएल
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