
इंदौर
इंदौर में गुरुवार सुबह शहर के कई हिस्सों में झमाझम बारिश हुई। यह सिलसिला बुधवार शाम से ही शुरू हो गया था और रातभर जारी रहा। पिछले 24 घंटों में 1 इंच से ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जिससे इस सीजन का कुल आंकड़ा अब 13 इंच तक पहुंच गया है। मौसम विभाग के अनुसार, आज भी अच्छी बारिश के संकेत हैं और आने वाले दिनों में भी ऐसा ही मौसम बने रहने की संभावना है। अगस्त महीने का लगभग आधा समय अब तक बारिश के लिहाज से कमजोर रहा है। बीते 12 दिनों में एक भी दिन 2 मिमी से अधिक बारिश नहीं हुई थी, लेकिन अब 1 इंच की ताजा बारिश से मौसम में बदलाव आया है। पूरे सीजन में अब तक लगभग पौने 12 इंच (करीब 300 मिमी) बारिश दर्ज की जा चुकी है, जिससे किसानों और आम लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं।
सबसे कम बारिश वाले जिलों में इंदौर शीर्ष पर
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे कम बारिश वाले जिलों में इंदौर पहले स्थान पर है। इस सूची में बड़वानी, बुरहानपुर, खरगोन और खंडवा भी शामिल हैं। उज्जैन संभाग की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है, जहां बारिश का स्तर सामान्य से काफी नीचे है। हालांकि, इन दोनों संभागों में अब एक मजबूत सिस्टम की सक्रियता देखने को मिल रही है, जिससे आने वाले दिनों में सूखा जैसी स्थिति खत्म होने की संभावना है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर यह बारिश का क्रम जारी रहा, तो जलस्रोतों में जलस्तर सुधर जाएगा और सिंचाई की स्थिति भी बेहतर होगी।
ट्रफ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन से उम्मीदें
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने जानकारी दी कि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया सक्रिय हो चुका है। साथ ही, तीन ट्रफ लाइनों की सक्रियता भी दर्ज की जा रही है। अगले चार दिनों में यह सिस्टम और अधिक मजबूत होगा, जिससे प्रदेश के कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश का दौर बना रहेगा। इस बदलाव से विशेष रूप से वे जिले लाभान्वित होंगे जहां अब तक बारिश का स्तर सामान्य से काफी कम रहा है।
तेज बारिश से कोटा फुल होने की संभावना
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगस्त के दूसरे पखवाड़े में तेज बारिश का दौर शुरू होने की संभावना है, जो महीने के आखिर तक जारी रह सकता है। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार अच्छी बारिश होने की उम्मीद है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अगले 2–3 दिनों में तेज बारिश हुई, तो कोटा बांध फुल हो सकता है, जिससे पेयजल और सिंचाई दोनों की स्थिति में सुधार आएगा। किसान समुदाय के लिए यह खबर राहतभरी साबित हो सकती है, क्योंकि लंबे समय से बारिश की कमी से फसलें प्रभावित हो रही थीं।
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