
नई दिल्ली
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने नायरा एनर्जी के व्यापार और विदेशी मुद्रा के ट्रांजैक्शन को प्रोसेस करना बंद कर दिया है। इसकी वजह पिछले महीने अमेरिकी टैरिफ बढ़ने के बाद प्रतिबंध लगने का डर है। बैंक ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि वह अमेरिका और यूरोपीय संघ की पाबंदियों का शिकार न बने। एक जानकार व्यक्ति ने बताया कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
नायरा एनर्जी कौन है?
अगस्त 2017 में, रूसी तेल दिग्गज रोसनेफ्ट की अगुआई वाले एक समूह ने एस्सार ऑयल की 20 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाली वडीनार रिफाइनरी खरीदी और उसका नाम बदलकर नायरा एनर्जी कर दिया। कंपनी विदेशों से कच्चा तेल आयात करती है और भारत की 256 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष से अधिक की रिफाइनिंग क्षमता में इसकी लगभग 8% बाजार हिस्सेदारी है।
"18 जुलाई को लगाए गए ये यूरोपीय प्रतिबंध आखिरी बूंद साबित हुए। अंतरराष्ट्रीय शाखाएं और कार्यों वाले सभी बैंकों को सरकारी कानूनों का पालन करना होता है ताकि वे नियामक जांच के दायरे में न आएं। इन यूरोपीय प्रतिबंधों और उसके बाद लगे अमेरिकी टैरिफ ने नायरा के लिए ट्रांजैक्शन प्रक्रिया को मुश्किल बना दिया है।"
एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता
यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता है। नायरा के पास पूरे देश में 6,500 से भी ज्यादा पेट्रोल पंप भी हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरह ही नायरा भी विदेशों से कच्चा तेल आयात करती है, उसे पेट्रोल और डीजल जैसे इस्तेमाल योग्य ईंधन में रिफाइन करती है, और इसे भारत के अलावा यूरोप और मध्य पूर्व के बाजारों में बेचती है।
यूरोपीय प्रतिबंधों ने बढ़ाई मुश्किल
कंपनी की मुश्किलें इसी साल जुलाई में शुरू हुईं जब यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ अपना 18वां प्रतिबंध पैकेज लागू किया। इसने रूसी बाजार से ईंधन के आयात को प्रतिबंधित कर दिया और रूसी कच्चे तेल पर प्रति बैरल 47.6 डॉलर का प्राइस कैप लागू कर दी।
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