August 12, 2025

करमवीर भारत

ताज़ा हिंदी ख़बरें

देसी राफेल बनेगा बाहुबली, ‘ब्रह्मास्त्र’ से लैस होकर दुश्मनों का होगा पलभर में सफाया

 

नई दिल्ली

स्वदेशी तकनीक से डेवलप किए जा रहे लड़ाकू विमान TEJAS MK-2 में अत्याधुनिक मीटियोर मिसाइल (Meteor Beyond-Visual-Range Air-to-Air Missile – BVRAAM) को इंटीग्रेट करने की योजना है. ऐसा होने के बाद इंडियन एयरफोर्स की एयर टू एयर अटैक कैपेबिलिट काफी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही तेजस एमके-2 और भी अधिक शक्तिशाली हो जाएगा. तेजस एमके-2 को 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है. इसमें कई ऐसी खासियत है जो इसे राफेल के टक्‍कर का बनाता है. तेजस एमके-2 में मॉडर्न एज रडार सिस्‍टम के साथ ही अत्‍याधुन‍िक हथियार भी फिट किया जा सकता है. डीआरडीओ की ओर से डेवलप किए जा रहे तेजस एमके-2 में ब्रह्मोस क्रूज सुपरसोनिक मिसाइल भी इंटीग्रेट किया जाएगा, जिससे इसकी मारक क्षमता और भी डेडली हो जाएगी.

बात करते हैं मीटियोर मिसाइल की. यह मिसाइल अपने थ्रॉटलेबल रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम, एक्टिव रडार सीकर और टू-वे डाटा-लिंक जैसी उन्नत तकनीकों के चलते दुनिया के सबसे घातक BVR हथियारों में गिनी जाती है. सॉलिड रॉकेट मोटर वाली मिसाइलों के विपरीत मीटियोर का रैमजेट इंजन उड़ान के दौरान लगातार थ्रस्ट देता है और आवश्यकता अनुसार उसे बढ़ा या घटा सकता है. इसका मतलब है कि यह मिसाइल अंतिम चरण (terminal phase) तक Mach 4 से अधिक की गति (5000 किलोमीटर प्रत‍ि घंटा) बनाए रखते हुए दुश्मनों पर अटैक कर सकती है. यह मिड-कोर्स में यह थ्रस्ट घटाकर ईंधन बचाती है और लक्ष्य के करीब पहुंचते ही थ्रस्ट बढ़ाकर तेज़ मैन्यूवर करती है, जिससे दुश्मन के बच निकलने की संभावना बेहद कम हो जाती है.

दुश्मन को बचने का कोई मौका नहीं

Meteor मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत इसका लार्ज नो एस्केप ज़ोन (NEZ) है. यह वह दायरा होता है, जिसमें आने के बाद दुश्मन विमान मिसाइल से नहीं बच सकता. यह रेंज पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कई गुना बड़ा है. आधिकारिक तौर पर इसकी मारक दूरी 100 किमी से अधिक बताई जाती है, लेकिन वास्तविकता में यह 200 किमी या उससे भी अधिक हो सकती है. इससे TEJAS MK-2 को पहले वार का मौका मिलता है. दुश्मन के रेंज में आने से पहले ही उसे निशाना बनाकर उसे मार गिराया जा सकता है.

टू-वे डाटा-लिंक – हवा में भी बदल सकती है लक्ष्य

मीटियोर का टू-वे डाटा-लिंक TEJAS MK-2 के Uttam AESA रडार या नेटवर्क में मौजूद अन्य सेंसर से वास्तविक समय में डेटा लेकर मिड-कोर्स अपडेट और री-टार्गेटिंग की सुविधा देता है. यह विशेषता भारी इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के बीच भी सटीकता और मारक क्षमता बनाए रखती है. इसके जरिए TEJAS MK-2 न केवल अपने रडार से बल्कि थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म्स से भी टारगेट की स्थिति जानकर हमला कर सकता है. यानी एक पूरी तरह नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमता.

भारतीय वायुसेना का कहना है कि फ्रांस की सरकार के साथ लंबित परियोजना के तहत नए विमान खरीदे या फिर बनाए जाएं जिससे वायुसेना की ताकत में इजाफा हो सके। इस प्रोजेक्ट के तहत ज्यादातर विमान विदेशी सहयोग के साथ देश में ही बनाए जाने हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय वायुसेना अब अपने बेड़े में देसी राफेल विमान चाहती है।

इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का पहला चरण है ऐक्सेपटेंस ऑफ नेसेसिटी (AoN) है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) एक या दो महीने के अंदर इसे मंजूरी दे सकती है। वायुसेना का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके नए लड़ाकू विमान बेड़े में शामिल होने चाहिए। बता दें कि 7 से 10 मई तक ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए राफेल का इस्तेमाल किया था।

पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारतीय वायुसेना के 6 लड़ाकू विमान मार गिराए थे। हालांकि भारत ने पाकिस्तान के इन बेबुनियाद दावों को खारिज कर दिया है। बता दें कि एमआरएफए प्रोजेक्ट पिछले सात से आठ साल से लटका हुआ है। वहीं भारतीय वायुसेना में विमानों की कमी हो गई है। अगले महीने मिग-21 विमान रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में वायुसेना में विमानों की संख्या और कम हो जाएगी। भारतीय वायुसेना ने पांचवीं पीढ़ी के विमानों की भी मांग की है।
5th जनरेशन के विमानों की भी मांग

भारतीय वायुसेना का कहना है कि अब पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू विमानों की जरूरत है। इनमें रूस के सुखोई-57 और अमेरिका के एफ-35 विमान शामिल हैं। हालांकि इसको लेकर अभी कोई चर्चा नहीं शुरू हुई है। भारतीय वायुसेना का कहना है कि अगर सरकार से सरकार की डील करके राफेल खरीदे जाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा। साल 2016 में भारत ने 59000 करोड़ रुपये की राफेल विमानों की डील की थी। इसके बाद 36 राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था।

Uttam AESA रडार – मीटियोर का सच्‍चा साथी

TEJAS MK-2 में लगने वाला स्वदेशी Uttam AESA रडार गैलियम नाइट्राइड (GaN) तकनीक आधारित होगा, जिससे 200 किमी या उससे अधिक दूरी पर फाइटर-साइज लक्ष्य का पता लगाया जा सकेगा. यह पुराने रडार की तुलना में ज्यादा पावर-इफिशिएंट और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग-रेज़िस्टेंट होगा. रडार की सेंसर फ्यूजन क्षमता और Meteor के साथ इसका तालमेल TEJAS MK-2 को लंबी दूरी पर दुश्मन को देखने, लॉक करने और मार गिराने में बढ़त देता है.

टॉप फाइटर जेट की बराबरी

Meteor वर्तमान में Rafale, Gripen, Eurofighter Typhoon और F-35 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का हिस्सा है. लेकिन TEJAS MK-2 में इसके इंटीग्रेशन के साथ भारत को भी समान, बल्कि परिस्थितियों में और बेहतर, BVR क्षमता मिल जाएगी. Meteor के जुड़ने से TEJAS MK-2 न केवल दुश्मन को लंबी दूरी से मारने में सक्षम होगा बल्कि अपने आप को खतरे से दूर रखकर भी हमला कर सकेगा. इससे पायलट को शूट फर्स्ट, किल फर्स्ट का आत्मविश्वास मिलेगा और उच्च-खतरे वाले वातावरण में भी उसका सर्वाइवल चांस कई गुना बढ़ जाएगा. मीटियोर मिसाइल और Uttam AESA रडार का यह संयोजन भारतीय वायुसेना को आधुनिक हवाई युद्ध में निर्णायक बढ़त देगा.