
भोपल /जबलपुर
भोपाल के गोविंदपुरा तहसीलदार दिलीप कुमार चौरसिया को हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने तहसीलदार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा – “तुम्हें हम उदाहरण बनाएंगे।” अदालत ने आदेश दिया है कि लोकायुक्त तहसीलदार की संपत्ति की जांच करे और भोपाल कलेक्टर तीन महीने में विभागीय जांच रिपोर्ट पेश करें।
आदेश की अवहेलना बनी कार्रवाई की वजह
मामला पारस नगर, भोपाल का है जहां मोहम्मद अनीस और उनकी पत्नी ने इक्विटल स्माल फाइनेंस बैंक से लोन लिया, फिर चुकाने से इनकार कर दिया। बैंक की शिकायत पर एडीएम ने 23 जुलाई 2024 को तहसीलदार को आदेश दिया कि संपत्ति बैंक को सौंप दी जाए। लेकिन तहसीलदार ने यह आदेश 8 महीने तक लटकाए रखा। बैंक ने कई बार आवेदन दिया, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति हुई। 5 मार्च 2025 को सिर्फ एक नोटिस जारी हुआ। नतीजतन, बैंक को 14 मई 2025 को हाई कोर्ट जाना पड़ा।
High Court का बड़ा आदेश, 30 दिन में हो कार्रवाई
हाई कोर्ट ने इस देरी को भ्रष्टाचार और अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत का संकेत माना। कोर्ट ने कहा कि तहसीलदार ने आदेशों को जानबूझकर टाला और संभवतः रिश्वत लेकर कार्रवाई रोकी।
कोर्ट ने न सिर्फ चौरसिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, बल्कि राज्य के सभी तहसीलदारों के लिए नई व्यवस्था दी। जानकारी के मुताबिक एडीएम के आदेश के बाद तहसीलदारों को 30 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
अदालत में माफी का प्रयास भी विफल
26 जून को तहसीलदार चौरसिया कोर्ट में पेश हुए और माफी मांगने की कोशिश की। उन्होंने एक और नोटिस जारी करने की बात कही, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। जजों ने सख्त लहजे में पूछा कि 11 महीने तक आदेश क्यों टाले गए। चौरसिया इस सवाल का जवाब नहीं दे सके और बगलें झांकने लगे।
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