
उज्जैन
श्रावण मास की बाबा महाकाल की सवारी में श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। बुजुर्ग महिलाएं, दिव्यांग, नन्हे बच्चे ,पालकी के दर्शन नहीं कर पाते, जिससे हर शहरवासी और जिमेदार मन मसोसकर रह जाते हैं। पत्रिका ने दर्शनार्थियों की बाबा की सुलभ झलक पाने की गुहार को आवाज दी तो शहरवासी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। ऐसी ही अनूठी प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसे शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके ने दी है।
सुविधाएं बदली परम्परा नहीं
उन्होंने एक मॉडल बनाया और उसे साझा किया है। उनका कहना है, इतिहास गवाह है- परंपराएं तो प्रभु ने अपने भक्तों के लिए, उनकी सुविधाओं के लिए बदली है। पालकी की ऊंचाई में अभिवृद्धि हो, इसके लिए इंजीनियर एवं जानकारों के साथ एक मॉडल का रेखाचित्र महाकाल मंदिर प्रबंध समिति, कलेक्टर, मुख्यमंत्री, विधायक, महामडलेश्वर आदि को पूर्व में वर्ष 2016 से कई बार दिया जा चुका है। इस मॉडल को आंतरिक रूप से स्वीकार भी कर लिया गया है।
इस मॉडल से सुलभ होंगे महाकाल के दर्शन, भीड़ भी रहेगी नियंत्रित
इस मॉडल के अंतर्गत न तो पालकी के स्वरूप में परिवर्तन होगा और न ही पंडित, पुजारी, कहारगण किसी भी प्रकार से प्रभावित हो रहे हैं। यथावत स्थिति में छोटे ट्राले पर पालकी पर विराजमान महाकालेश्वर का विग्रह स्वरूप व्यवस्थित ऊंचाई पर सभी के लिए सुलभ दर्शन के रूप में रहेगा। इससे भीड़ नियंत्रण भी होगा।
पुलिस प्रशासन का तनाव भी कम होगा। सुरक्षा की दृष्टि से भी यह मॉडल आम श्रद्धालुओं के लिए बेहतर होगा। उज्जैन में कोई बड़ा हादसा न हो, इसके लिए शीघ्र ही मॉडल बनाकर सवारी में प्रायोगिक तौर पर चलाया जाना चाहिए। जनता जनार्दन की सहमति होने पर आगामी सवारी में मॉडल को लागू किया जाना चाहिए।
खूबसूरती से सजाया जाए मॉडल को
इस मॉडल के अंतर्गत छोटे ट्रैक्टर को नंदी का स्वरूप देकर ट्राले को चलाया जा सकता है। ट्राला बहुत खूबसूरती से सजाया जा सकता है, जिसमें त्रिशूल, डमरू, बिलपत्र आदि द्वारा सुंदर रूप दिया जा सकता है। ट्राले के निचले भाग में आधुनिक जनरेटर हो, जिससे लाइट की व्यवस्था सुचारू चलती रहे।
साथ ही जीपीएस सिस्टम, जैमर और अति आधुनिक उपकरणों से युक्त यह सुलभ दर्शन चलित मंच के रूप में रहेगा, जिसके दोनों और पोर्टेबल सीढ़ियां रहेंगी, जिससे वीआईपी एवं श्रद्धालु पूजा एवं आरती के लिए आ सकेंगे। यह मॉडल खाती समाज के मंदिर की गली से भी आसानी से निकल सकेगा।
भगवान महाकाल की नई चांदी की पालकी की तैयारी
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सावन-भादौ मास को लेकर तैयारी की जा रही है। मंदिर समिति दर्शन व्यवस्था के साथ सावन- भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी को लेकर विशेष तैयारी कर रही है। करीब डेढ़ दशक बाद भगवान महाकाल इस बार चांदी की नई पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे।
नई पालकी में विराजित भगवान के भक्तों को अधिक सुविधाजनक तरीके से दर्शन हो सके, इसके बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस बार 11 जुलाई शुक्रवार से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है। 14 जुलाई को श्रावण का पहला सोमवार रहेगा और इसी दिन भगवान महाकाल की श्रावण मास में पहली सवारी निकलेगी।
ऐसे में अवंतिकानाथ के नगर भ्रमण में कुल 21 दिन का समय शेष है। इसलिए मंदिर प्रशासन व जिला प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है। करीब डेढ़ दशक बाद भगवान महाकाल चांदी की नई पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। मंदिर प्रशासन सवारी मार्ग पर खड़े हजारों भक्तों को भगवान महाकाल के सुविधा से दर्शन कराने की तैयारी कर रहा है।
फूलों की सजावट का रखेंगे विशेष ध्यान
उप प्रशासक एसएन सोनी ने बताया पालकी लगातार एक समान ऊंचाई पर चलती रहे, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। फूलों से होने वाली पालकी की सजावट पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। सजावट इस प्रकार होगी कि पालकी के दोनों ओर फूलों की लड़ी ना लटके, इससे दर्शन में बाधा उत्पन्न होती है। बता दें शनिवार को सवारी में शामिल की जाने वाली भगवान महाकाल की नई चांदी की पालकी की पहली तस्वीर सामने आई, पालकी को लेकर ट्रायल भी किया जा रहा है।
शहनाई गेट के सामने नया सीसी रोड
श्रावण-भाद्रपद मास के प्रत्येक सोमवार पर निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी की शुरुआत सभा मंडप में भगवान महाकाल के रजत मुखारविंद की पूजन के साथ होती है। इसके बाद बाबा की पालकी मंदिर परिसर से होते हुए शहनाई गेट के रास्ते मंदिर से बाहर निकलती है।
यहां सशस्त्र बल की टुकड़ी भगवान को गार्ड ऑफ आनर देती है। इसके बाद सवारी शिप्रा तट की ओर रवाना होती है। बीते दो साल से निर्माण कार्य के चलते यहां व्यवस्था में परेशानी आ रही थी। इस बार नए सीमेंट क्रांक्रीट का मार्ग तैयार किया जा रहा है। इसी मार्ग से होकर भगवान नगर भ्रमण पर निकलेंगे। राजा के स्वागत में नए मार्ग पर रेड कारपेट बिछाया जाएगा।
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मूलभूत सुविधाओं का रखें ध्यान
बाबा महाकाल की सवारी में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने सवारी मार्ग पर उपस्थित रहते हैं। सुलभ दर्शन के लिए पालकी की ऊंचाई के साथ साथ मूलभूत सुविधाएं जैसे शुद्ध पेयजल, शौचालय, पार्किंग एवं छायादार शेड की व्यवस्था करना चाहिए।
अर्पित गोयल अनंत, पूर्व अध्यक्ष- अग्रवाल नवयुवक मंडल
पालकी के स्वरूप में बदलाव जरूरी
जिस प्रकार से सवारी में भीड़ का सैलाब उमड़ता जा रहा है, उसे देखते हुए स्वरूप में जरूर बदलाव होना चाहिए। क्योंकि जो लोग बड़ी देर से बाबा की एक झलक पाने घंटों खड़े रहते हैं, उन्हें बैरिकेड्स के पीछे से केवल पालकी के दर्शन ही होते हैं।
मोहनसिंह हिंगोले, योगाचार्य
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